'अनुवाद' सिर्फ़ एक शब्द नहीं
हमारे जीवन का एक भाव है
जो निरंतर इशारे से कहता है
यहां 'मौलिकता' का अभाव है
मैंने देखा अनुवाद की आंधी में
स्वतंत्रता का तिनके सा बहना
रचनात्मकता का मौन सिसकना
दूसरों की तरफ़ बेबस निरखना
अनुवाद कहने के लिए तो कला है
बाज़ार में मुनाफ़े का कारोबार भी
बेहतर आजीविका का एक जरिया
और तरक्की के लिए 'नया नज़रिया
अनुवाद की पाठशाला में सीखे सबक
लगता तो है कि बहुत ही काम के हैं
कभी-कभी सिद्दत से महसूस होता है जैसे
आने वाले दिन मौलिकता के विश्राम के हैं
इन सारे विचारों का निष्कर्ष एक नहीं
अनुवादकों के विचारों में मतैक्य नहीं
लेकिन ख़ुद को भ्रम में डालने से बेहतर है
हम मौलिक लेखन का सतत अभ्यास करें
कोई भी अनुवाद बग़ैर हमारी भाषा के
बेहतर अभिव्यक्ति को तरस जाएगा
इसलिए नए रास्तों की तलाश की जरूरत है
इसलिए नए रास्तों की तलाश की जरूरत है
जैसे विविध भाषाओं में अध्ययन जरूरी है
उसी तरह अपनी बोली में बात करना और
अपनी भाषा में लिखने का अभ्यास करना
ताकि रचनात्मकता को अनुवाद के से परे
एक नया आयाम दिया जा सके
जिसकी परिभाषा और विस्तार हमें खुद तय करना है.
निश्चित रूप से नई अभिव्यक्ति, नव सृजन ज़रूरी है ... सुन्दर बिम्ब के साथ प्रस्तुत विचार
ReplyDeleteप्रोत्साहन भरे शब्दों के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया.
ReplyDeleteएक नया आयाम दिया जा सके
ReplyDeleteजिसकी परिभाषा और विस्तार हमें खुद तय करना है....सृजन ज़रूरी है !!!!