अपनी बात कहते समय छोटे बच्चों को यह ध्यान नहीं रहता कि हम उनकी बात
समझ रहे हैं या नहीं। वे एक फ्लो में बस अपनी बात कहते चले जाते हैं। उनके
लिए धैर्य के साथ सुनने का भरोसा ही बहुत होता है।
जब हम बड़े बच्चों से बात कर रहे होते हैं तो हम भी इस बात का ख्याल रखना भूल जाते हैं कि वे हमारी बात समझ पा रहे हैं या नहीं।
इसका सबसे अच्छा उदाहरण है, "एक स्कूल में आठवीं क्लास के बच्चों को 'मतलब' का मतलब बताना।" हम लोगों के लिए मतलब यानी बड़ी आसान सी बात है। कुछ बच्चों के लिए मतलब की मिनिंग निकालना भी मुश्किल हो सकता है, हमें इस बात को समझना चाहिए।
इसका सबसे अच्छा उदाहरण है, "एक स्कूल में आठवीं क्लास के बच्चों को 'मतलब' का मतलब बताना।" हम लोगों के लिए मतलब यानी बड़ी आसान सी बात है। कुछ बच्चों के लिए मतलब की मिनिंग निकालना भी मुश्किल हो सकता है, हमें इस बात को समझना चाहिए।
दीपोत्सव की अनंत मंगलकामनाएं !!
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