Thursday, January 1, 2015

रिश्ते और मोहब्बत....

साल बदल गया। लेकिन तेवर नहीं बदले। शुभकामनाएं भी पुराने तेवर में आ रही हैं कि कबूल नहीं हुईं तो देख लेना। तुम्हें पहचानते हैं। जानते हैं। समझते हैं। इसलिए तुम्हारे तेवर से हैरान नहीं हैं दोस्त। लेकिन बस इतनी सी गुजारिश है कि एकतरफा गुस्सा अच्छा नहीं होता। जैसे कभी-कभी एकतरफ़ा प्यार अच्छा नहीं होता। ख़ैर किसी भी रिश्ते को एक तरफ़ा मोहब्बत की तरह निभाना तो आदर्श वाली स्थिति हो सकती है।
लेकिन इसमें भी एक उदासीनता सी नज़र आती है। मानो कोई कह रहा है कि तुम क्या कर रहे हो मुझे इस बात से कोई फर्क़ नहीं पड़ता। इसलिए नए साल में रिश्तों और दोस्ती को एकतरफ़ा मोहब्बत की तरह निभाने वाले फलसफे में थोड़ा सा बदलाव है....कि सामने वाला क्या कह रहा है? उसे सुना जाए। उसे उसके अर्थ में समझा जाए। वह जैसा चाहता है, उसके साथ वैसा ही व्यवहार किया जाए। एकदम पॉजिटिव सेंस में इसे अमल में लाने की जरूरत महसूस हो रही है।

2 comments:

  1. तेवर नहीं बदले न बदलेंगे

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  2. पुराने तेवर का कायम रहना जरूरी भी है, यह तो उनकी पहचान है। इसलिए बदलाव की ख़ुद से उम्मीद करिए और लोगों से उनके सहज और स्वाभाविक व्यवहार की....ज़िंदगी का एक फलसफा यह भी है।

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